आवेश विद्युत धारा
आवेश
यह बहुत छोटा कण है जो जो परमाणु में पाया जाता है। यह इलेक्ट्रान या प्रोटान हो सकता है अगर इलेक्ट्रान है तो ऋणात्मक आवेश होगा और यदि प्रोटान है तो धनात्मक आवेश होगा।
इसका SI मात्रक कूलाम है. जिसे Q से दर्शाते है।
कूलॉम आवेश का S.I मात्रक है
Q यानि आवेश धनात्मक और ऋणात्मक हो सकता है दो या दो से अधिक आवेशों के बीच लगने वाला आकर्षी या प्रतिकर्षी बल का मान हम कूलाम के नियम से निकाल सकते है।
यदि दो आवेश Q1 और Q2 r दूरी पर रखे है तो उनके बीच लगने बाला बल F होगा।
यहाँ पर k एक परवैध्युतांक है जिसका मान हवा और निर्वात में 1/4πε0 होता है।
आवेश संरक्षण का नियम
➤इस नियम के अनुसार आवेश को न तो पैदा किया जा सकता है न ही नष्ट किया जा सकता है पूरा आवेश संरक्षित रहता है
यदि हम किसी object से दुसरे object को आवेश देते है तो पहले बाले पर positive और दूसरे पर नेगेटिव आवेश होगा।
आवेश संरक्षण के नियम को प्रसिध्द वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रैंकलिन ने दिया था।
आवेश के क्वाण्टीकरण का सिध्दांत
विद्युत आवेश का मान e = 1.602×10−19 होता है यह न्यूनतम आवेश है जो किसी वस्तु पर हो सकता है
इस क्वाण्टीकरण के अनुसार किसी वस्तु पर पर आवेश इस न्यूनतम आवेश e = 1.602×10−19 का पूर्ण गुणक होता है किसी बस्तु पर आवेश Q=ne यहाँ पर n सभी पूर्णांक नंबर है जैसे 1,2,3,4 etc. औरe = 1.602×10−19 है
विद्युत धारा
किसी परिपथ में आवेश प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते है।
इसे (I ) से प्रदर्शित है। electron theory के अनुसार धारा I धनात्मक सिरे से ऋणात्मक सिरे की ओर बहती है।
Benjamin Franklin ने सबसे पहले इस शब्द का उपयोग किया मान लेते है किसी Circuit यानि परिपथ में Q आवेश t समय के लिए प्रवाहित किया जाता है तो विद्युत धारा Iहोगी तब इसका सूत्र ⤇
T = समय
विद्युतधारा का SI मात्रक को "ऐम्पियर" कहते हैं। जिसे (A) से व्यक्त करते हैं।
विद्युत् धारा के प्रकार
विद्युत् धारा दो प्रकार की होती है।
(1) दिष्ट धारा ➤जब आवेश केवल एक दिशा में बहता है तब इसे दिष्ट धारा यानि Direct current कहेंगे।
(2 ) प्रत्यावर्ती धारा ➤प्रत्यावर्ती धारा या Alternating Current ऐसा Electric Current है जिसमे Electric charge यानि आवेश का प्रवाह की मात्रा और दिशा और समय के साथ बदलती रहती है
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