धातु एवं अधातु Metal and None metal धातुओं के भौतिक एवं रासायनिक गुण physical and chemical properties of metal and non metal

    धातु ➤     वे तत्व जो इलेक्ट्रॉन्स  को त्यागकर धनायन प्राप्त करते है धातु कहलाते है  प्राचीनकाल  में सिर्फ 8  धातुएं ज्ञात थी परन्तु वर्तमान में 90  धातुएं ज्ञात हो चुकी है  ! धातुएं प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था में  या फिर अपने यौगिकों के रूप में पायी जाती है! इनके ऑक्साइड क्षारीय होते है लेकिन कुछ धातुओं के ऑक्साइड उभयधर्मी होते है ⟹  जैसे  एल्युमिनियम एवं जिंक ऑक्साइड 


 धातुओं के भौतिक गुण 
  • ऊष्मा  और विद्द्युत की सुचालक होती है चांदी  ऊष्मा और विद्दुत की सबसे अच्छी चालक है 
  • धातुएं चमकदार  होती है 
  • धातुएं आघातवर्धनीय होती है  अर्थात हथौड़े  से पीट पीट कर धातु की चादर बनायीं जा सकती है 
  • यह तन्य  होती है अर्थात 1ग्राम चांदी से 2 मीटर  लम्बा तार खींचा जा सकता है 
  • धातुएं ध्वानिक होती है  
  • धातुओं में उच्च घनत्व होता है     
                                                 
धातुओं के रासायनिक गुण 
   धातुओं के रासायनिक गुण  निम्नलिखित है 
  • 1.ऑक्सीजन से क्रिया   ➽                                                                   धातुएं ऑक्सीजेन से क्रिया करके धात्विक ऑक्साइड बनती है→.🔻                                                  
        ex 1. 2Cu  +  O2  →  2CuO
                       कॉपर      +    ऑक्सीजन       →       कॉपर(II )ऑक्साइड 
        ex 2.  2Mg + O2   →  2MgO
  •   2. जल से क्रिया →➽ एवं 
                     धातु ऑक्साइड जल में अघुलनशील होते है किन्तु कुछ धातु ऑक्साइड जल में घुलकर क्षार प्रदान करते है !
 ex.1.    Na2 +H2→    2NaOH   
 ex. 2.    K2O +H2O→ 2KOH
  • 3.अम्ल से क्रिया ➽  धातुएं अम्ल से क्रिया करके लवण बनाती है और हाइड्रोजन मुक्त करती है 
  2Na  +   2HCl  →  NaCl +  H2

  • 4.  क्लोरीन से क्रिया ➽ 
                 धातुएं क्लोरीन से क्रिया करके क्लोराइड बनाती है 
         जैसे ⤍  Ca  +  Cl2        →      CaCl2
                                2Na + Cl2       →     2NaCl
  


 धातुओं  से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य 
  • सबसे हल्की धातु लिथियम Li है 
  • सबसे भारी धातु ऑस्मियम  (OS) है 
                             

                             ⏪ अधातु ➽                       


                                                                
               वैसे अधातु  की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। फिर भी मोटे तौर पर अधातुओं के निम्नलिखित भौतिक गुण हैं-
                                भौतिक गुण
  • धातुओं की तुलना में कम विद्द्युत चालकता होती है या फिर नहीं होती है 
  • धातुओं की तुलना में कम उष्मा चालकता होती है 
  • अधातुएँ अम्लीय ऑक्साइड  बनाती हैं। (जबकि धातुएँ क्षारीय ऑक्साइड  बनाती हैं।)
  • जो अधातुएँ ठोस द्रव गैस तीनो अवस्था में पायी जाती हैं, 
  • वे भंगुर (ब्रिटल) होती है 
  •  चमकहीन होती हैं।
  • अधातुओं का घनत्व  कम होता है।
  • अधातुओं का क्वथनांक  और गलनांक  धातुओं से काफी कम होता है।
  • अधातुओं की इलेक्ट्रान बंधुता सर्वाधिक होती है (अक्रिय गैसें अपवाद हैं।)।

         अधातुओ के रासायनिक गुण 

अधातु (Non metal) का ऑक्सीजन (Oxygen) के साथ प्रतिक्रिया

                       अधिकांश अधातु (Non metal) ऑक्सीजन (Oxygen) के साथ प्रतिक्रिया कर संबंधित अधातुओं के ऑक्साईड (Respective metal oxides) बनाते हैं
        अधातु + ऑक्सीजन → अधातु के ऑक्साईड

कार्बन (Carbon) का ऑक्सीजन (oxygen) के साथ प्रतिक्रिया

कार्बन सामान्य तापमान पर ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते हैं। परंतु जब कार्बन को हवा में जलाया जाता है तो कार्बन डाईऑक्साईड (Carbon dioxide) गैस बनता है।
            C  +    O2   ⟶   CO2
             कार्बन +ऑक्सीजन ⟶कार्बन डाई ऑक्साइड 

कार्बन डाईऑक्साईड (Carbon dioxide) का जल के साथ प्रतिक्रिया


जब कार्बन डाईऑक्साइड (Carbon dioxide) को पानी में घोला जाता है तो यह कार्बोनिक अम्ल (Carbonic acid) बनाता है। कार्बोनिक अम्ल (Carbonic acid) एक कमजोर अम्ल (Weak acid) है।
          CO2 +    H2⟶   H2CO3

    कार्बन डाईऑक्साईड+जल ⟶कार्बोनिक अम्ल

कार्बन को हवा में जलाना एक उष्माक्षेपी (Exothermic) प्रतिक्रिया है। यही कारण है कि कार्बन का उपयोग ईंधन के रूप में होता है। कोयला, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस, इत्यादि कार्बन के विभिन्न रूप हैं।

कार्बन का कम ऑक्सीजन की उपस्थिति में दहन

जब कार्बन को कम ऑक्सीजन की उपस्थिति में जलाया जाता है, तो यह कार्बन मोनो ऑक्साईड (Carbon monoxide) बनाता है।
   2C   +   O2   ⟶  2CO + Heat 
  कार्बन +ऑक्सीजन ⟶ कार्बन मोनो ऑक्साइड + गर्मी 

सल्फर (Sulphur) का ऑक्सीजन (Oxygen) के साथ प्रतिक्रिया


सल्फर सामान्य तापमान पर ऑक्सीजन (Oxygen) के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता परंतु जब सल्फर को हवा में जलाया जाता है तो यह सल्फर डाईऑक्साईड (Sulphur dioxide) गैस देता है।
             S     +   O2   ⟶  SO2
          सल्फर  + ऑक्सीजन ⟶ सल्फर डाई ऑक्साइड 

सल्फर डाईऑक्साईड (Sulphur dioxide) का जल के साथ प्रतिक्रिया➤

जब सल्फर डाईऑक्साइड (Sulphur dioxide) को पानी में घोला जाता है तो यह सल्फ्युरस अम्ल (Sulphurous acid) बनाता है।
         SO2 +  H2⟶  H2SO3                                                               ( Sulphurous acid)

सल्फर डाईऑक्साइड (Sulphur dioxide) का ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया➤सल्फर डाईऑक्साइड (Sulphur dioxide) ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया कर सल्फर ट्राई ऑक्साइड (Sulphur trioxide) बनाता है।

         2SO2 +O2 ⟶  2SO3

                               (Sulphur trioxide) 


सल्फर ट्राई ऑक्साइड (Sulphur trioxide) का जल के साथ प्रतिक्रिया


सल्फर ट्राई ऑक्साइड जल के साथ प्रतिक्रिया कर सल्फ्युरिक अम्ल (Sulphuric acid) बनाता है
           SO3 + H2⟶   H2SO4
                            (Sulphuric acid)

अम्लीय वर्षा (Acid Rain)

        अम्लीय (Acidic) गुण वाले पानी का बारिश के रूप में पृथ्वी पर गिरना अम्लीय वर्षा (Acidic rain) कहलाती है। गाड़ियाँ, फैक्ट्रियाँ आदि से ईंधन के जलने के बाद कार्बन डाईऑक्साइड  तथा सल्फर डाईऑक्साइड  धुँए के रूप में निकलती हैं, जो स्वास्थ्य तथा पर्यावरण के लिय काफी खतरनाक है। ये गैसें गाड़ियों तथा फैक्ट्रियों से निकलकर हवा में मिल जाती हैं तथा हवा में ही मौजूद रहती हैं।
जब बारिश होती है तो कार्बन डाईऑक्साइड  तथा सल्फर डाईऑक्साइड  बारिश के पानी में घुलकर क्रमश: कार्बोनिक अम्ल  तथा सल्फ्युरिक अम्ल  बनाती हैं जो कि बारिस की बून्दों के साथ पृथ्वी पर गिर जाती हैं।
बारिश की बून्दों के साथ कार्बोनिक अम्ल  तथा सल्फ्युरिक अम्ल का पृथ्वी पर गिरना अम्लीय वर्षा  कहलाती है।
अम्लीय वर्षा ऐतिहासिक धरोहरों  यथा ताजमहल, जो कि संगमरमर का बना है, आदि के लिये काफी कतरनाक है। अम्लीय वर्षा इन ऐतिहासिक इमारतों को काफी क्षति पहुँचाती है। अम्लीय वर्षा जब नदियों, तालाबों के में मिलकर उनके पानी को अम्लीय  बना देती है, नदियों तथा तालाबों के पानी के पी0एच0 का मान (Value of pH) अम्लीय पानी के मिलने के कारण कम हो जाता है तथा जलीय जीव मरने लगते हैं।

एक धातु (Metal) दूसरे अधातुओं (Non metals) के साथ कैसे प्रतिक्रिया करता है?

एक धातु दूसरे अधातु के साथ प्रतिक्रिया  कर संबंधित यैगिक बनाता है। एक परमाणु उसमें वर्तमान संयोजी इलेक्ट्रॉन  के कारण ही दूसरे परमाणु  से प्रतिक्रिया  करता है।

संयोजकता (Valency)

संयोग करने की क्षमता संयोजकता कहलाती है।  किसी भी परमाणु  की संयोजकता  ॠनात्मक  या धानात्मक  दोनों हो सकती है।
उदाहरण
HCl  में हाईड्रोजन  की संयोजकता +1 (plus one) तथा क्लोरीन  की संयोजकता – 1 (minus one). है।
चूँकि एक यौगिक  हमेशा उदासीन  रहता है, अत: HCl  बनाने के लिये हाईड्रोजन  जिसकी संयोजकता +1 (plus one) है को उदासीन बनाने के लिय एक क्लोरीन  जिसकी संयोजकता – 1 (minus one). है के एक परमाणु की आवश्यकता होती है।
उसी प्रकार NaCl में, सोडियम  की संयोजकता +1 (plus one) तथा क्लोरीन  की संयोजकता – 1 (minus one). है।
पोटैशियम ब्रोमाईड (KBr) पोटैशियम जिसकी valency +1  है को उदासीन बनाने के लिय एक संयोजकता वाले ब्रोमीन  की आवश्यकता होती है।
जल  में ऑक्सीजन की संयोजकता – 2 (minus two) है। अत: उसे उदासीन बनाने के लिए हाईड्रोजन के दो परमाणुओं  की आवश्यकता होती है, क्योंकि हाईड्रोजन की संयोजकता +1 (plus one) है।

संयोजक इलेक्ट्रॉन (Valence Electron)

किसी भी परमाणु के बाहरी कक्षा  में वर्तमान इलेक्ट्रॉन की संख्या संयोजक इलेक्ट्रॉन या संयोजी इलेक्ट्रॉन  कहलाती है।
उदाहरण:

हाईड्रोजन (Hydrogen)

हाईड्रोजन की परमाणु संख्या  = 1
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास : 1
बाहरी कक्षा  में वर्तमान इलेक्ट्रॉन की संख्या : 1
अत: हाईड्रोजन  का संयोजक इलेक्ट्रॉन   = 1

सोडियम (Sodium)

सोडियम  की परमाणु संख्या = 11
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास : 2, 8, 1
बाहरी कक्षा  में वर्तमान इलेक्ट्रॉन की संख्या = 1
अत: सोडियम  का संयोजक इलेक्ट्रॉन  = 1

क्लोरीन (Chlorine)

क्लोरीन  की परमाणु संख्या = 17
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास  = 2, 8, 7
बाहरी कक्षा में वर्तमान इलेक्ट्रॉन की संख्या = 7
अत: क्लोरीन का संयोजक इलेक्ट्रॉन = 7

अक्रिय गैस (Noble Gas)

हीलियम , नियॉन , आर्गन , क्रिप्टन , जिनॉन  तथा रैडॉन अक्रिय गैसें हैं। ये अक्रिय गैस इसलिय कहलाती हैं क्योंकि ये प्रतिक्रिया नहीं करती है।

अक्रिय गैसों (Noble gas) का संयोजक इलेक्ट्रॉन (Valence Electron)

अक्रिय गैसों का संयोजक इलेक्ट्रॉन शून्य होता है, अर्थात अक्रिय गैसों के परमाणु की बाहरी कक्षा पूरी तरह भरी हुई होती है। हीलियम गैस के बाहरी कक्षा  में कुल इलेक्ट्रॉन की संख्या 2  है एवं बाकी सभी अक्रिय गैसों  के बाहरी कक्षा में कुल इलेक्ट्रॉन की संख्या 8  हैं।
चूँकि अक्रिय गैसों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास परिपूर्ण है अत: वे अक्रिय हैं अर्थात प्रतिक्रिया नहीं करती हैं।

स्थाई (Stable) तथा अस्थाई (unstable) इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic configuration)

जब किसी परमाणु की बाहरी बाहरी कक्षा पूरी तरह भरी हुई होती है तो वह स्थाई इलेक्ट्रॉनिक विन्यास कहलाती है। अत: सभी परमाणुओं को उनकी बाहरी कक्षा में ईलेक्ट्रॉन को पूरी तरह भरने के लिये तत्पर होते हैं ताकि स्थाई इलेक्ट्रॉनिक विन्यास  पाया जा सके। दूसरे शब्दों में प्रत्येक परमाणु उनके नजदीकि अक्रिय गैस का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पाना चाहता है क्योंकि अक्रिय गैसों की बाहरी कक्षा पूरी तरह भरी हुई होती है।
उदाहरण:

हाईड्रोजन (Hydrogen)

बाहरी कक्षा में इलेक्टॉन की कुल संख्या  = 1 .
हाईड्रोजन का नजदीकी अक्रिय गैस हीलियम 
हीलियम  के बाहरी कक्षा में इलेक्टॉन की कुल संख्या = 2 
अत: स्थाई इलेक्ट्रॉनिक विन्यास  पाने के लिये हाईड्रोजन हमेशा बाहरी कक्षा में दो इलेक्टॉन पूरा करना चाहता है। यही कारण है कि हाईड्रोजन का परमाणु प्रकृति में मुक्त अवस्था  में नहीं पाया जाता है बल्कि हाईड्रोजन अणु  H2 के रूप में पाया जाता है।

सोडियम (Sodium)

बाहरी कक्षा  में इलेक्टॉन की कुल संख्या = 1 (one).
सोडियम  का नजदीकी अक्रिय गैस नियॉन 
नियॉन के बाहरी कक्षा में इलेक्टॉन  की कुल संख्या = 8
अत: अपने बाहरी कक्षा में 8 Electron प्राप्त करने के लिय सोडियम एक Electron खोकर सोडियम आयन बनाता है। तथा दूसरे तत्व के परमाणु  से संयोग  कर यौगिक बनाता है।

परमाणुओं द्वारा स्थाई इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic configuration) प्राप्त करने के लिये यौगिक (Compound) का बनाना

परमाणु  उनके बाहरी कक्षा  को पूर्ण रूप से भरने के लिय दूसरे तत्व  या समान तत्व के परमाणु के साथ संयोग  कर बंध  बनाता है तथा यौगिक बनाता है। जैसे कि सोडियम  क्लोरीन से संयोग कर सोडियम क्लोराईड बनाता है। हाईड्रोजन के दो परमाणु  मिलकर अणु बनाते हैं। हाईड्रोजन  के दो परमाणु ऑक्सीजन  के एक परमाणु के साथ मिलकर जल  का एक अणु बनाता है इत्यादि।

परमाणुओं द्वारा स्थाई इलेक्ट्रॉनिक विन्यास  प्राप्त करने के लिये दूसरे त्त्वों के परमाणु या समान त्त्वों के परमाणु के साथ मिलकर बनाये जाने वाले बंध को रासायनिक बंध कहते हैं।
                         रासायनिक बंध 


                           एक धातु दूसर अधातु के साथ प्रतिक्रिया कर बंध (Bond) बनाता है ऐसे बंधों (bonds) को रासायनिक बंध (Chemical bond) कहते हैं।
रासायनिक बंध (Chemical bond) तरीकों से बनता है:
(a) इलेक्टॉन के स्थानांतरण (Transfer) के द्वारा
(b) इलेक्ट्रॉन के योगदान (Sharing) के द्वारा

इलेक्टॉन के स्थानांतरण (Transfer) के द्वारा रासायनिक बंध (Chemical bond) का बनना

इलेक्टॉन के स्थानांतरण (Transfer) के द्वारा रासायनिक बंध (Chemical bond) के बनने के लिय कम से कम दो परमाणुओं की आवश्यकता होती है। इलेक्टॉन के स्थानांतरण (Transfer) में एक परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन खोया जाता है तथा दूसरे परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन प्राप्त किया जाता है। परमाणु जो इलेक्ट्रॉन देता है या खोता है को दाता तथा परमाणु जो इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है को प्राप्त्कर्ता कहा जाता है।
इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण द्वारा बने हुए बंध को आयनिक बंध या इलेक्ट्रोवैलेंट बंध कहते हैं। तथा इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण द्वारा बने हुए यौगिक को आयनिक यौगिक या इलेक्ट्रोवैलेंट यौगिक कहते हैं।
इलेक्ट्रॉन को खोने या प्राप्त करने के बाद परमाणु पर विद्युत आवेश आ जाता है।

आयन (Ions)

वैद्युत रूप से आविशित परमाणु को आयन कहा जाता है। जैसे कि सोडियम आयन [sodium ion (Na+)], पोटैशियम आयन [potassium ion (K+)], मैग्निशियम आयन [magnesium ion (Mg++)], क्लोराईड आयन [Chloride ion (Cl)], ऑक्साईड आयन [oxide ion (O2–))], आदि।

आयन के प्रकार

आयन दो प्रकार के होते हैं। धनावेशिय आयन तथा ॠणावेशित आयन

धनावेशिय आयन या कैटायन

परमाणु जिनपर धन आवेश होता है को धनावेशिय आयन या कैटायन कहा जाता है।

धनावेशिय आयन या कैटायन का बनना

एक परमाणु जब इलेक्ट्रॉन खोता है तो उसपर धन आवेश आ जाता है। परमाणु पर धन आवेश की संख्या इलेक्ट्रॉन खोने की संख्या के बराबर होता है। अर्थात यदि परमाणु एक इलेक्ट्रॉन खोता है तो उसपर एक धन आवेश, यदि दो इलेक्ट्रॉन खोता है तो उसपर दो धन आवेश, यदि तीन इलेक्ट्रॉन खोता है तो उसपर तीन धन आवेश आ जाता है इत्यादि।
उदाहरण
(1) हाइड्रोजन आयन Hydrogen Ion (H+)
हाइड्रोजन के एक परमाणु खोने के कारण उसपर एक धन आवेश आ जाता है। धनावेशित हाईड्रोजन के परमाणु को हाईड्रोजन आयन कहते हैं। हाइड्रोजन परमाणु की बाहरी कक्षा में एक ही इलेक्ट्रान है अत: हाईड्रोजन केवल एक ही इलेक्ट्रॉन खो सकता है।
H – e = H+
(2) सोडियम आयन Sodium ion (Na+)
Na – e = Na+
(3)कैल्शियम आयन Calcium ion (Ca+ +)
Ca – 2e = Ca+ +
चूँकि कैल्शियम दो इलेक्ट्रॉन खोता है, अत: कैल्शियम के परमाणु पर दो धन आवेश आ जाता है।
(4)मैग्नेशियम आयन Magnesium ion (Mg+ +)
Mg – 2e= Mg+ +
बाहरी कक्षा में दो इलेक्ट्रान है अत: मैग्निशियम अपनी बाहरी कक्षा का दो इलेक्ट्रॉन खोकर स्थाई इलेक्टॉनिक विन्यास प्राप्त करता है।

ॠणावेशित आयन या एनायन

ॠणात्मक आवेश वाले परमाणु को ॠणावेशित आयन या एनायन कहते हैं।
जब परमाणु इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है तो उसपर ॠण आवेश आ जाता है। परमाणु पर ॠण आवेश की संख्या उसके इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने की संख्या के बराबर होता है अर्थात यदि परमाणु एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है तो उसपर एक ॠण आवेश, दो इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने की स्थिति दो ॠण आवेश, आदि आ जाता है।
उदाहरण:
(1)क्लोराईड आयन Chloride Ions (Cl )
Cl + e = Cl 
क्लोरीन की बाहरी कक्षा में कुल इलेक्ट्रॉन की संख्या सात है, अत% क्लोरीन एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर अपनी बाहरी कक्षा में आठ इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर स्थाई इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त करता है। एक इलेक्ट्रॉन खोने के कारण क्लोरीन पर एक ॠण आवेश आ जाता है।
(2)ऑक्साईड आयन Oxide Ion (O – –)
O + 2e = O – –
ऑक्सीजन की बाहरी कक्षा में कुल इलेक्ट्रॉन की संख्या छ: है, जिसके कारण ऑक्सीजन हमेशा दो इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर स्थाई इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त करने की कोशिश में रहता है। अत: दो इलेक्ट्रॉन प्राप्त करने के बाद ऑक्सीजन पर दो ॠण आवेश आ जाने के बाद इसे ऑक्साईड आयन कहा जाता है।

परमाणु द्वारा ॠण या धन आवेश प्राप्त करने के कारण

किसी भी परमाणु में इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन की संख्या बराबर होती है। इलेक्ट्रॉन ॠणावेशित तथा प्रोटॉन धन आवेशित होता है। इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटॉन की संख्या अर्थात ॠण आवेश तथा धन आवेश की संख्या बराबर होने के कारण एक परमाणु वैद्युत रूप से उदासीन रहता है।
जब कोई परमाणु एक इलेक्ट्रॉन खोता है तो उसमें वर्तमान प्रोटॉन की संख्या इलेक्ट्रॉन की संख्या से एक ज्यादा हो जाती है, अर्थात धन आवेश ॠण आवेश से एक ज्यादा हो जाता है जिसके कारण परमाणु पर एक धन आवेश आ जाता है।
एटॉमिक नम्बर = इलेक्ट्रॉन की संख्या = प्रोटॉन की संख्या
Example

हाईड्रोजन

हाईड्रोजन का एटॉमिक नम्बर = 1
इलेक्ट्रॉन की संख्या = 1
प्रोटॉन की संख्या = 1
हाईड्रोजन द्वारा एक इलेक्ट्रॉन खोने के बाद, इलेक्ट्रॉन की संख्या शून्य हो जाती है तथा प्रोटॉन की संख्या एक बनी रहती है। प्रोटॉन, जो कि धन आवेशित होता है की संख्या इलेक्ट्रॉन की संख्या से एक ज्यादा हो जाने के कारण हाईड्रोजन पर एक धन आवेश आ जाता है, अर्थात हाईड्रोजन आयन [hydrogen ion (H+)] बनाता है।

क्लोरीन

क्लोरीन का एटॉमिक नम्बर = 17
क्लोरीन में इलेक्ट्रॉन की संख्या = 17
क्लोरीन में प्रोटॉन की संख्या = 17
क्या होता है जब क्लोरीन एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है?
जब क्लोरीन का परमाणु एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है तो इलेक्ट्रॉन की संख्या 18 हो जाती है जबकि प्रोटॉन की संख्या 17 ही रहती है, इस स्थिति में ॠण आवेश की संख्या धन आवेश से एक ज्यादा हो जाती है, जिसके कारण क्लोरीन पर एक ॠण आवेश आ जाता है। इस तरह क्लोराईड आयन [chloride ion (Cl )] बनता है।

ऑक्सीजन

ऑक्सीजन का एटामिक नम्बर = 8
ऑक्सीजन में इलेक्ट्रॉन की संख्या= 8
ऑक्सीजन में प्रोटॉन की संख्या = 8

जब ऑक्सीजन दो इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता है तो इलेक्ट्रॉन की संख्या 10 (दस) हो जाती है लेकिन प्रोटॉन की संख्या 8 (आठ) ही रहती है अर्थात ॠण आवेश की संख्या धन आवेश से दो ज्यादा हो जाती है। ॠण आवेश की संख्या धन आवेश से दो ज्यादा हो जाने के कारण ऑक्सीजन पर दो ॠण आवेश आ जाता है। इस तरह ऑक्साईड आयन [oxide ion (O– –.)] बनता है।


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