कार्य, शक्ति तथा उर्जा Work, Power and Energy
कार्य तथा ऊर्जा
कार्य की वैज्ञानिक संकल्पना ➤
जैसे कि यदि एक लड़की किसी ट्रॉली को खींचती है और ट्रॉली कुछ दूर तक चलती है। लड़की ने ट्रॉली पर बल लगाया और यह विस्थापित हुई ! इसलिए कार्य किया गया।
कार्य की वैज्ञानिक संकल्पना ➤
एक फुटबॉलर द्वारा फुटबॉल को
किक मारने पर वह जमीन पर कुछ दूरी तय करता है। इसमें फुटबॉल पर बल लगाया जाता है
तथा फुटबॉल कुछ दूरी तक जाती है।अत:यहाँ कार्य हुआ।
एक किताब को जमीन पर से उठा कर टेबल पर रखिए। यहाँ
किताब को ऊपर उठाने के लिए बल लगाया गया, जिस बल के कारण किताब टेबल तक पहुँचा। यहाँ कार्य
हुआ।
अत: वैज्ञानिक
दृष्टि से कार्य होने के लिए दो शर्तों का होना
अनिवार्य है।
अनिवार्य है।
(a) किसी वस्तु पर बल का लगाया जाना, तथा
(b) वस्तु का विस्थापित होना अर्थात वस्तु का बल के परिणाम के
रूप में कुछ
दूरी तय करना।
यदि उपरोक्त
दोनों शर्तों में से किसी एक के नहीं होने की स्थिति
में वैज्ञानिक दृष्टि से कार्य नहीं होगा।
में वैज्ञानिक दृष्टि से कार्य नहीं होगा।
विज्ञान के अनुसार कार्य की परिभाषा
जब किसी वस्तु पर बल लगाने के कारण वह
विस्थापित हो जाती है, तो कहा जाता है कि कार्य हुआ।'
विस्थापित हो जाती है, तो कहा जाता है कि कार्य हुआ।'
जैसे कि यदि एक लड़की किसी ट्रॉली को खींचती है और ट्रॉली कुछ दूर तक चलती है। लड़की ने ट्रॉली पर बल लगाया और यह विस्थापित हुई ! इसलिए कार्य किया गया।
एक नियत बल द्वारा किया गया कार्य
माना किसी वस्तु पर बल लगाने पर F लगाने पर वास्तु का विस्थापन S हो जाता है तो किया गया कार्य W होगा
तो कार्य की
परिभाषा के अनुसार किया गया कार्य बल तथा विस्थापन के गुणनफल के बराबर है।
किया गया
कार्य
= बल × विस्थापन
⏩ W = F s -------- (i)
अत: कार्य की परिभाषा ➦
, किसी वस्तु पर लगने वाले बल द्वारा किया
गया कार्य बल के
परिमाण तथा बल की दिशा में चली गई दूरी के
गुणनफल के बराबर होता है। कार्य में
केवल परिमाण होता है तथा
कोई दिशा नहीं होती।
चूँकि कार्य वस्तु पर लगाये
गये बल तथा
उसके विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है, अत: बल तथा
विस्थापन किसी भी एक के शून्य होने पर किया गया
कार्य शून्य
के बराबर हो जायेगा।
मान लिया कि बल (F) = 0
तथा हम जानते हैं कि, किया गया कार्य, W = F × s
⇒ W = 0 × s
⇒ W = 0
या, मान लिया कि विस्थापन, s = 0
उस स्थिति में भी
W = F × 0
⇒ W = 0
अत: दोनों ही स्थितियों में, अर्थात बल या विस्थापन किसी भी
एक की अनुपस्थिति में किया गया कार्य शून्य हो जायेगा।
अत: वस्तु पर लगाया गया बल
तथा वस्तु का विस्थापन दोनों हीएक की अनुपस्थिति में किया गया कार्य शून्य हो जायेगा।
अति महत्वपूर्ण हैं
कार्य का SI मात्रक
हम जानते हैं कि
बल (F) का एस आई मात्रक = N (newton)
तथा विस्थापन (s) का एस आई मात्रक = m (मीटर)
तथा हम जानते
हैं कि
,
,
W = F × s
अत: बल (F) तथा विस्थापन (s) के मात्रक को रखने पर हम पाते हैं कि
W = N m
अत: कार्य का एस
आई मात्रक N m (न्यूटन मीटर) है।
चूकि कार्य का परिणाम होता है दिशा नहीं होती इसलिए कार्य एक अदिश राशि है
उदाहरण प्रश्न (1) यदि किसी वस्तु को 5 m विस्थापित करने के
लिए 10 N का बल लगाया जाता है, तो वस्तु पर किया गया
कार्य कितना होगा?
लिए 10 N का बल लगाया जाता है, तो वस्तु पर किया गया
कार्य कितना होगा?
हल
यहाँ दिया गया है, बल (F) = 10 N
वस्तु का विस्थापन (s) = 5 m
अत: वस्तु पर किया गया कार्य
(W) = ?
हम जानते हैं कि, W = F × s या Fs
∴ W = 10 N × 5 m
⇒ W = 50 N m
अत: वस्तु पर किया गया कार्य
(W) = 50 N
m या 50 J उत्तर
धनात्मक तथा ऋणात्मक कार्य
बल द्वारा किया गया कार्य धनात्मक तथा ऋणात्मक दोनों होता
है
वह पर धनात्मक कार्य कार्य होगा
उदाहरण 1
है
धनात्मक कार्य
जब बल वस्तु के विस्थापन की दिशा में लग रहा हो तोवह पर धनात्मक कार्य कार्य होगा
उदाहरण 1
एक
बच्चा एक खिलौना वाले कार को विस्थापन की दिशा में खींच
रहा है, अर्थात जिस दिशा में खिलौना
वाली कार चल रही है उसी
दिशा में बल लगा रहा है।
अत: इस
स्थिति में किया गया कार्य (W) लगाये गये बल (F)
तथा विस्थापन (s) के गुणनफल के बराबर होगा।
W = F × s
यहाँ
किया गया कार्य (W) धनात्मक
है।
उदाहरण 2
एक
फुटबॉल जमीन पर एक दिशा में गतिमान है, उसी समय एक
फुटबॉल का खिलाड़ी
फुटबॉल को फुटबॉल की गति की दिशा में
किक मारता है जिससे फुटबॉल उसी दिशा में और
आगे तक
चला जाता है। अर्थात किक के रूप में लगाया गया बल फुटबॉल के
विस्थापन की
दिशा में लगाया जाता है जिससे फुटबॉल उसकी
विस्थापन की दिशा में ही और आगे की ओर
विस्थापित हो जाता
है।
इस
स्थिति में किया गया कार्य (W) = F × s
यहाँ
किया गया कार्य (W) धनात्मक
है।
ऋणात्मक कार्य
जब वस्तु के
विस्थापन की विपरीत दिशा में बल लगाया जाता है, तो किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।
उदाहरण (1)
मान लिया कि एक
कार एक समान वेग से किसी खास दिशा में जा रही है और ड्राइवर ब्रेक लगाता है जिससे
कुछ दूरी के बार कार रूक जाती है।
यहाँ ब्रेक के
रूप में कारा की गति को धीमा करने के लिए बल, F लगाया जाता है।
चूँकि बल (F) कार के विस्थापन की विपरीत दिशा में लगाया जाता है, जिससे कार रूक जाती है, अत: यहाँ किया गया कार्य (W) ऋणात्मक होगा।
अर्थात, W = –F × s or F × (– s)
यहाँ किया गया
कार्य ऋणात्मक है।
अर्थात जब लगाये
गये बल की दिशा तथा वस्तु के विस्थापन के बीच का कोण 1800 होता है, तो किया गया कार्य ऋणात्मक होगा।
अर्थात जब लगाया गया बल वस्तु के विस्थापन की दिशा में होगा, तो किया गया कार्य धनात्मक होगा। और जब लगाया गया बल तथा विस्थापन की विपरीत
दिशा में होगा, तब किया गया कार्य ऋणात्मक होगा।
शक्ति
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